बुद्धि योग गीता भाग - 06


गीता में बुद्धि को बसाओ

विज्ञान तर्क आधारित है और प्रभु के मार्ग में तर्क एक अवरोध है ।

संसार में आसक्त ब्यक्ति प्रभु को भी पाना चाहता है केवल भोग तृप्ति के लिए और प्रभु में भी भोग को ही
तलाशता है ।
प्रभु में बसा ब्यक्ति भोग में भी प्रभु को ही पाता है ।

गीता कहता है ........

भोग और भगवान् एक साथ एक बुद्धि में एक समय नही समाते और प्रभु की अनुभूति मन - बुद्धि से परे
की है । अब आप अपनी बुद्धि गीता के ऊपर दिए गए बचनों में लगाएं और खोजें उस रहस्य को जिसको
प्रभु श्री कृष्ण अर्जुन को समुझाना चाहते हैं ।

गीता पढ़ना आसान है , गीता के श्लोकों को याद करना भी आसान है लेकीन गीता गंगा में बहते रहनें का
आनद कोई - कोई ले पाता है ।

जब तक आप के ह्रदय का स्पंदन प्रभु श्री कृष्ण की ऊर्जा से नहीं जुड़ता
तबतक आप गीता गंगा में बहनें का आनंद नहीं ले सकते।

===== ॐ ======

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