★ऊपर दी गयी स्लाइड को ध्यान से देखें और अपनी बुद्धि में बैठाएं । <> दुःख से छुटकारा पाना कौन नहीं चाहता ! इसके लिए नानाप्रकार के उपाय भी उपलब्ध हैं जैसे वैदिक उपचार में यज्ञ आदि करना , देवताओं का वैदिक व्यवस्था के अनुसार पूजन करना , औषधियों का प्रयोग करना , तांत्रिक उपचार करना आदि - आदि । ◆ सांख्ययोग कहता है , ये सारे उपाय अस्थाई रूप में दुःख निवारण करते हैं और समय - समय पर ये दुःख बार - बार पुनः पुनः लौट कर आते रहते हैं । # दुःखों को निर्मूल ( जड़ से समाप्त करने ) करने का केवल एक मात्र उपाय है - तत्त्व ज्ञान । < > क्या है , यह तत्त्व ज्ञान ? गीता श्लोक : 13.2 में प्रभु कहते हैं , " क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ का बोध , ज्ञान है ; हमारा शरीर क्षेत्र है और इसका संचालक क्षेत्रज्ञ है। गीता की इस बात को सांख्य इस प्रकार से कहता है , " प्रकृति - पुरुष का बोध - तत्त्व ज्ञान है । पुरुष , प्रकृति और प्रकृति के विकृत होने से उपजे 23 सर्ग सांख्य के मूल तत्त्व हैं । रमण महर्षि का मैं कौन हूँ , सांख्य का तत्त्व ज्ञान और वेदांत का ब्रह्म - माया बोध आदि सब एक के संबोधन हैं। // ॐ //