गीता अमृत - 4
नायं हन्ति न हन्यते ------गीता ..2.19 न हन्यते हन्यमाने शरीरे ---गीता .. 2.20 आत्मा क्या है ? हम पढ़ते थे --ठोस , द्रव एवं गैस -- तीन रूपों में ब्रह्माण्ड की सूचनाओं को बाटा जा सकता है लेकीन अब विज्ञानं के पास प्लास्मा भी एक स्थिति है जिसमें सूचनाएं हैं । आत्मा क्या है - यह कल एक रहस्य था , आज एक रहस्य है और आनें वाले कल में भी एक रहस्य रहेगा और जिस दिन विज्ञानं को आत्मा रहस्य का पता चलेगा उस दिन विज्ञान आत्मा के लिए भी कोई लैटिन या ग्रीक शब्द खोज लेगा । ऊपर गीता के दो श्लोकों का आंशिक रूप दिया गया है जो आत्मा के लिए है । यह दोनों श्लोक कहते हैं ---- आत्मा वह है जिसके पास मारना एवं मरना शब्द नहीं है ...अब आप सोंचे - क्या विज्ञानं के पास ऐसी कोई सूचना है ? उत्तर है - नहीं । गीता में आत्मा को बुद्धि के स्तर पर समझनें के लिए आप निम्न श्लोकों को देखें ----- 2.18- 2.30, 10.20, 13.22, 13.32, 13.33, 14.5, 15.7, 15.8, 15.11 ये श्लोक कहते हैं-- वह जो टाइम स्पेस के अन्दर है , टाइम स्पेस के बाहर है , जिससे टाइम स्पेस है , जो सनातन है । जो अविभाज्य है , जो अपरिवर्तनीय है , जो स्थीर है । जो