ज्ञान - विज्ञान

ज्ञान - विज्ञान
श्रीमद्भागवत और गीता के आधार पर ज्ञान और विज्ञान की परिभाषा कुछ इस प्रकार से बनती है :
* गीता कहता है :
क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ का बोध , ज्ञान है ।
* भागवत कहता है :
शुद्ध इन्द्रिय , मन और बुद्धि के सहयोग से जो अनुभव होता है वह ज्ञान है और वह अनुभूति जिससे सबको एक के फैलाव स्वरुप देखा जाय , विज्ञान है । दोनों बातों को आप अपनें ध्यान का विषय बनाएं और कुछ दिन का मनन आप को जहां पहुंचाए वहाँ कुछ ठहरिये और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में अकेले होनें की स्थिति को देखते रहें , आप को जो मिले उसे प्रभु का प्रसाद समझ कर स्वीकारें ।
यह ज्ञान - विज्ञान का ध्यान आप को इन्द्रियों के माध्यम से मन से गुजार कर बुद्धिसे परिचय कराते हुए जहां पहुंचाएगा वह आयाम होगा  विज्ञान का । ~~~ ॐ ~~~

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