कृष्ण जब राधा बने

राधा के ह्रदय की गहराई जाननें के लिए राधा बनें।
राधा के मर्म को जाननें के लिए राधा बनें।
लेकिन क्या राधा के मर्म को समझ पाये?
कृष्ण का राधा बनाना और अर्ध नारेश्वर की कथा हजारों साल पुरानी है लेकिन क्या.....
हर नर में नारी है और हर नारी में नर है का विज्ञान भारत में बन पाया?
निरा कार कृष्ण सीमा रहित है और गोकुल के कृष्ण की अपनी सीमा है। सीमित को असीमित को पकडनें केलिए गहरे ध्यान से गुजरना पड़ता है।
द्वापर का कृष्ण क्या-क्या लीला नहीं दिखाया जीनमें अनेक ज्ञान-विज्ञान की बातें छिपी हैं लेकिन हम भारतीय उन बातों को पकड़ नहीं पाये।
C.G.JUNG जो एक जानें मानें मनो वैज्ञानिक हैं -कहते हैं की हर नर में नारी होती है और हर नारी में नर होता है और इस बात को लेकर पश्चिम में अंग परिवर्तन का विज्ञान पैदा हुआ , क्या आप जानते हैं की ज़ंग गीता-उपनिषद के प्रेमी थे तथा संस्कृत का उनको अच्छा ज्ञान भी था?
गीता का कृष्ण एक सांख्य योगी है , शांख्य योगी एवं बैज्ञानिक में एक अन्तर है --वैज्ञानिक संदेह को पकड़ कर सत्य को पकडनें के लिए प्रयोगशाला बनाता है और संख्या योगी की प्रयोगशाला यह संसार है जहाँ वह एक द्रष्टा की तरह रहता हुआ सत्य को जानता है।
पौराणिक कथाओं में विज्ञान की खोज बुद्धि-योग है और उन कथाओं को मनोरंजन का साधन बनाना जहर है।
Prof. Einstein, Max Plank, Ervin Shrodinger, Heisenberg आदि नोबल पुरस्कार बिजेता गीता और उप निषद में वह पाया जो आज के विज्ञान की बुनियाद है और हमलोग आज भी मंदिरों में घंटियाँ बजा रहे हैं।
जागो ! अब वक्त आ गया है ।
====ॐ=====

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