गीता में दो पल - 11

योग क्या है ?
  # गीता श्लोक : 6.23 #
** यहाँ प्रभु कह रहे हैं :---
" दुःख संयोग वियोगं , योग सज्ज्ञितम् " भावार्थ दुःख के कारणों से वियोग होना ,योग है ।
<> अब देखना होगा , दुःखके कारण क्या - क्या
हैं ?
# चाह और अहंकार , दुःखके मूल कारण हैं ।
*अब सोचना है की चाह -अहंकार रहित जीवन कैसे हो ?
<> इस प्रकार की स्थिति कुछ करनें से नहीं आ सकती अपितु जो हो रहा है ,वह गुणों की उर्जा से हो रहा है ,ऐसा समझनेंका अभ्यास कर्ताभाव के अहंकार से मुक्त करता है और धीरे -धीरे गुण साधना जब पकती है तब दुःख के सभीं कारणों जैसे आसक्ति ,काम ,कामना ,क्रोध ,लोभ ,मोह ,भय ,आलस्य और अहंकार से मुक्त स्थिति मिलती है जिसको
कहते हैं :---
सुख संयोग वियोगः इति योगः
~~ ॐ ~~

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