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समाधि क्या है भाग - 1

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  महर्षि पतंजलि अष्टांगयोग का आठवें अंग के रूप में समाधि की कुछ निम्न प्रकार से व्यक्त करते हैं । यह सम्प्रज्ञात समाधि है जिसकी सिद्धि असंप्रज्ञात समाधि में पहुँचाती है 👇

ध्यान (Meditation ) क्या है ?

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  महर्षि पतंजलि योग के सातवें चरण - ध्यान ( meditation ) को परिभाषित कर रहे हैं , यहाँ , देखिये निम्न स्लाइड में 👇

धारणा क्या है ?

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  महर्षि पतंजलि के विभूति पाद के सूत्र - 1 में धारण की परिभाषा मिलती है । पतंजलि के अष्टांगयोग की 08 भूमियों मरण से धारणा 06 वी भूमि है । 08 भूमियों में पहली 05 , बाह्य भूमियाँ हैं और आखिरी 03 ( धारणा , ध्यान , समाधि ) आतंरिक भूमियाँ हैं । महर्षि के शब्द जीवंत शब्द हैं , मुर्दे शब्द नहीं हैं । योग साधक की आत्मा जब महर्षि के शब्दों को छूती है तब स्थूल शरीर में हल्का सा कंपन पैदा होता है लेकिन यह क्षणिक होता है । योग साधक के लिए पतंजलि के शब्द पारिजात मणि जैसे पारदर्शी होते हैं जिसमें साधक स्वयं के रूप को देखता है ।  आइये , सब चलते हैं विभूति पाद सूत्र - 1 में 👇 

प्रत्याहार पतंजलि के शब्दों में

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  पतंजलि योग की यात्रा में हम चार पड़ावों को पार कर चुके हैं और आज  पांचवें पड़ाव पर आ पहुंचे हैं जहाँ से  समाधि तीसरा पड़ाव है । इन्द्रिय नियोजन , इंद्रजीत होना , कैवल्य की यात्रा को अति सुगम बना देता है  और प्रत्याहार पूर्ण इन्द्रिय नियोजन अवस्था का नाम है।  आइये ! देखते हैं पतंजलि के शब्दों में प्रत्याहार को 👇

हठ योग प्रदीपिका और प्राणायाम

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  पतंजलि के अष्टांगयोग के चौथे अंग प्राणायाम से सम्बंधित यह 10 वां अंक है । आज हम हठ योग प्रदीपिका के प्राणायाम सम्बंधित कुछ सूत्रों को देखने जा रहे हैं । जो श्वास हम ले रहे हैं , जो श्वास हम बाहर निकाल रहे हैं , मन की गति और हृदय की गति में सीधा समानुपात है । आइये ! देखते हैं निम्न स्लाइड को 👇

प्राणायाम के सम्बन्ध में प्रभु श्री कृष्ण की कुछ और बातें

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  प्राणायाम के सम्बन्ध में श्रीमद्भागवत पुराण स्कन्ध - 11 में प्रभु श्री कृष्ण उद्धव जी को निम्न बातें बता रहे हैं। ज्ञानयोगी उद्धव जी देखने में कृष्ण जैसे ही दिखते हैं और मथुरा में प्रभु के सलाहकार हैं । देवताओं के पुरोहित श्री बृहस्पति जी के शिष्य उद्धव जी निराकार ब्रह्म के उपासक हैं और कृष्ण की छाया जैसे कृष्ण के साथ रहते हैं । कृष्ण - उद्धव वार्ता भागवत : 11.7 - 11.29 के मध्य 1030 श्लोकों में है । साकार प्रभु का निराकार उपासक की तत्त्व ज्ञान सम्बंधित यह वार्ता उपासना का श्रोत है।

श्रीमद्भागवत पुराण में प्राणायाम

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  श्रीमद्भागवत पुराण में   ब्रह्म ऋषि नारद 5 वर्षीय बालक ध्रुव को प्राणायाम के माध्यम से श्री हरि के दर्शन प्राप्ति का उपाय बता रहे हैं । आप भी देखिये⬇️