इंद्रियों का स्वभाव है बिषयों में रमण करना मन का स्वभाव है इंद्रियों पर भरोषा रखना बुद्धि मन की भाषा को समझती है और .. . इन सबको जो उर्जा चलाती है वह है तीन गुणों की उर्जा सात्विक , राजस और तामस तीन गुणों का माध्यम का नाम है माया माया से माया में यह संसार है यह संसार मन का विलास है और इसके परे का आयाक ब्रह्म का आयाम है जहाँ मनुष्य संसार को ब्रह्म की छाया रूप में देखता है / मन - बुद्धि तंत्र की बृत्तयाँ हैं - जाग्रत , स्वप्न और सुषुप्ति जाग्रत स्थिति में इन्द्रियाँ अपनें - अपनें बिषयों की तलाश में होती हैं और इद्रिय - बिषय संयोग भोग है / स्वप्न में ह्रदय जाग्रत अवस्था के अनुभव को प्राप्त करता है और सुषुप्ति में इन दोनों के अनुभव की लहरें दिखती हैं जाग्रत , स्वप्न और सुषुप्ति , इनमें गुण कर्ता होते हैं और प्रभु की अनुभूति गुणातीत की स्थिति में ही संभव है फिर क्या करें ? ध्यानका अभ्यास जब गहरा हो जाता है तब इन तीन आयामों से अलग एक और आयाम उठता ...