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Showing posts from August, 2013

●●तत्त्व ज्ञान ●●

●● तत्त्व ज्ञान ●● °1- लिंग शरीर क्या है ? स्थूल देह का पिंड , 05 कर्म इन्द्रियाँ और मन का योग , लिंग शरीर कहलाता है : भागवत - 11.22 °2- महत्तत्त्व क्या है ? 2.1> तीन गुणोंमें ( मायामें ) कालका प्रभा...

दुःख संयोग वियोगः योगः

●●दुःख संयोग वियोगः योगः●● गीतामें प्रभु श्री कृष्ण कह रहे हैं --- " दुःख सयोग वियोगः इति योगः " ये श्री कृष्ण वही हैं जो 11 सालकी उम्र तक मथुरासे नन्द गाँव ,नन्द गाँवसे वृन्दावन ...

भागवतकी सृष्टि - प्रलय गणित

●● सृष्टि - प्रलय - सृष्टि ●● °° सन्दर्भ - भागवत :---- 2.5+3.5+3.6+3.25-3.27+11.24+11.25 * ब्रह्मा , मैत्रेय , कपिल और कृष्णके सांख्य तत्त्व ज्ञानका सार :---- ^ माया पर कालका प्रभाव हुआ फलस्वरुप ^ 03 अहंकार उपजे > सात्त्व...

ध्यान और हम

इंद्रियों का स्वभाव है बिषयों में रमण करना  मन का स्वभाव है इंद्रियों पर भरोषा रखना  बुद्धि मन की भाषा को समझती है  और .. . इन सबको जो उर्जा चलाती है वह है तीन  गुणों की उर्जा  सात्विक , राजस और तामस तीन गुणों का माध्यम का नाम है माया  माया  से माया में यह संसार है  यह संसार मन का विलास है  और  इसके परे का आयाक ब्रह्म का आयाम है जहाँ मनुष्य संसार को ब्रह्म की छाया रूप में देखता है / मन - बुद्धि तंत्र की बृत्तयाँ हैं - जाग्रत , स्वप्न और सुषुप्ति  जाग्रत स्थिति में इन्द्रियाँ अपनें - अपनें बिषयों की तलाश में होती हैं  और   इद्रिय - बिषय संयोग भोग है / स्वप्न में ह्रदय जाग्रत अवस्था के अनुभव को प्राप्त करता है और  सुषुप्ति में इन दोनों के अनुभव की लहरें दिखती हैं  जाग्रत , स्वप्न और सुषुप्ति , इनमें गुण कर्ता होते हैं  और  प्रभु की अनुभूति गुणातीत की स्थिति में ही संभव है   फिर क्या करें ? ध्यानका अभ्यास जब गहरा हो जाता है तब इन तीन आयामों से अलग एक और आयाम उठता  ...