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Showing posts from November, 2021

गीता अध्याय - 16 हिंदी भाषान्तर

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 ( गीता अध्याय - 15 को गीता जे मोती ब्लॉग में देखें ) इस अध्याय के सारे श्लोक प्रभु श्री के हैं .. श्लोक : 1- 3 दैवी संपदाके लोगों की पहचान ➡️ अभय , निर्मल अंतःकरण , ज्ञानयोग में दृढ स्थिति  , दान , दम ( इन्द्रिय दमन ) , यज्ञ , स्वाध्याय , तप , शरीर , इन्द्रिय सहित अन्तः करण की सरलता ⤵️ 🐧 हे अर्जुन ! निम्न लक्षण दैवी संपदा के साथ उतपन्न हुए लोगों के हैं ⤵️ ➡ अहिंसा , सत्य , अक्रोध , त्याग , शांति , निंदा न करना , दया भाव , इन्द्रिय - बिषय संयोग होने पर भी अनासक्त भाव में रहना , कोमलता , लोक - शास्त्र के विरुद्ध आचरण में लज्जा , व्यर्थ चेष्ठाओं का अभाव ⤵️ ➡ तेज , क्षमा , धैर्य , शौच ( बाहर की पवित्रता ) , अद्रोह , अपनें में पूज्यता के अभिमान का अभाव का होना ,  श्लोक : 4 आसुरी सम्पदा के लोग   ⚛ दंभ , दर्प ( घमंड ) , अभिमान  , क्रोध  , कठोरता , अज्ञान आदि , आसूरी सम्पदा के लोगों के लक्षण हैं । श्लोक : 5   आसूरी एवं दैवी सम्पदा के लोग   🌷 दैवी संपदा मुक्ति हेतु और आसुरी सम्पदा बंधन हेतु  है ।  हे अर्जुन ! तुम दैवी संपदा के साथ उत्पन्न...

गीता अध्याय - 11 हिंदी भाषान्तर

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  श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय : 11 हिन्दी भाषान्तर ⤵️ ◆ सम्पूर्ण गीता में अर्जुन के कुल 86 श्लोक हैं   जिनमें से 33 श्लोक इस एक अध्याय में हैं । ● गीता के 700 श्लोकों में से अध्याय - 10 तक 414 श्लोक हैं , और ⤵️  ◆ गीता में  अर्जुन के 16 प्रश्न हैं जिनमे से 3 प्रश्न इसी अध्याय में हैं और अर्जुन कह रहे हैं कि आपके परम गोपनीय वचनों से मेरा मोह समाप्त हो गया है , अब मैं स्थिर चित्त हूँ और प्रश्न के बाद प्रश्न पूछ रहे हैं । ◆ मनुष्य लोगों को धोखा देते - देते इतना आदी हो जाता है कि वह स्वयं को धोखा देने लगता है ।  ☸ प्रश्न संदेह युक्त बुद्धि , अशांत मन और अहँकार से उपजता है फिर अर्जुन स्थिर चित्त कैसे हुए !  अर्जुन , प्रभु श्री कृष्ण को सखा और परमात्मा कहते तो हैं लेकिन दिल से नहीं , अन्यथा उनकी बुद्धि शांत और संदेहमुक्त होनी चाहिए थी पर अभीं तक ऐसा हुआ दिखता नहीं। अब आगे ⤵️ गीता अध्याय - 11 का हिंदी भाषान्तर ⤵️ श्लोक - 1- 4 > अर्जुन का प्रश्न - 10 ➡️ मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आप जो परम गुह्य अध्यात्म ज्ञान के वचन कहे , उनसे मेरा अज्ञान समाप्त हो गया है ।...