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Showing posts from July, 2014

गीता में दो पल भाग - 3

* भोग - कर्म योग - कर्ममें पहुँचा सकता है । * योग - कर्म , योग सिद्धि में पहुँचाते हैं । << और अब आगे >> * मनुष्यका कर्म जीवन की जरुरत को पूरा करनेंका हेतु तो है लेकिन यह भोग से योग में पह...

गीता में दो पल भाग - 2

1- गीता - 3.5+18.11 > कोई जीवधारी एक पल केलिए भी कर्म मुक्त नहीं हो सकता ।कर्म करनें की उर्जा गुणों से मिलती है और गुणों में लगातार हो रहे परिवर्तन का परिणाम है कर्म । 2- गीता - 14.10 + 18.60 > सात्त्वि...