सिद्ध योगी एक झरना है

आप जरा सोचे की ----------------
छोटा बच्चा चाहे किसी जीव का हो , वह क्यों अच्छा लगता है ?
प्रसव - पीड़ा से बंचित स्त्री में माँ का दिल नहीं होता , क्यों ?
बच्चा पैदा करनें वाली अनेक स्त्रियाँ हैं लेकिन उनमें माँ कितनी हैं ?
झरना देखनें वाले अनेक हैं लेकिन उनमें झरनें के संगीत को सुननें वाले कितनें होते हैं ?
गीता पर बोलनें वालों की लाइनें लगी हैं --आदि गुरु संकराचार्य से आज तक कितनें लोग गीता के सूत्रों का अर्थ लगा रहें हैं लेकिन उनमें कितनों नें गीता-रस का मजा लिया है ?
प्रकृति - पुरूष के योग से निर्मित एक माध्यम सब को मिला हुआ है कोई इस को समझनें में अपना जीवन
लगा रखा है , हर दिन इसको निर्विकार रखनें में ब्यस्त है तो ज्यादा तर लोग इसको कूड़ा दान बना रहे हैं जो लोग इस परम भेट को समझ कर जी रहें हैं , वे हैं सिद्ध योगी जो एक झरनें की तरह हैं , जो सब के लिए उपलब्ध हैं लेकिन इनको पहचानता कौन है ?यहाँ इस भोग संसार में अपना घर , अपना परिवार आदि को देखनें वालों की संख्या अनंत है लेकिन यहाँ सब को अपनानें वाले कितनें हैं ?
यहाँ सब में एक बात सामान्य है ---यहाँ सब की यात्रा अब्यक्त से अब्यक्त की यात्रा है लेकिन इस सत्य को जो समझते हैं , वह हैं सिद्ध - योगी और जो नहीं समझते , वे हैं भोगी ।
झरनें की फोटो खीचनें वाले अनेक हैं , झरनें के नाम पर वहां भीड़ लगानें वाले अनेक हैं लेकिन उस झरने के संगीत में अपनें को घुलानें वाले कितनें हैं ? जो हैं उन पर हमारी नजर टिकती भी नहीं ।
झरनें में दो गुन हैं ; झरनें में समभाव है और एक ध्वनी है जिसमें न आरोह है और न अवरोह ।
झरना यह कहता है ----प्यारे! यहाँ तूम मुझको देखो और संसार में रहते हुए अपनें में मुझको खोजो , मैं सब में हूँ । जब तूं मुझे अपनें में पालेगा तब तुझे यहाँ आनें की जरुरत न होगी ।
सिद्ध - योगी एक झरना है जो झरनें को पहचान सकता है वह सिद्ध योगी को भी पहचानता है ।
आप को सिद्ध योगी को खोजना नहीं है , बश एक काम करना है --अपनें तन-मन को निर्विकार बनाना है , अपनें में वह उर्जा पैदा करना है जिसके माध्यम से आप अपनें पास खड़े सिद्ध - योगी को पहचान सकें ।
गीता में परम श्री कृष्ण के ५५६ श्लोकों से एक बात मिलती है की तन - मन को कैसे निर्विकार बनाया जाए ।
गीता में उलझें नहीं , गीता के रस में अपनें को दुबोयें ।
====ॐ=====

Comments

Sharma ji,

AAp kitna likhtey hai. Itna jyada likhane ke liye jyada sochna bhi padata hoga na???????????????

To phir apka man, mastishk, dimag, mind aram kaise leta hai

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