गंगा जलसे समाधि तक ---4

ऋषिकेश से हरिद्वार तक
और .....
प्रयाग से काशी तक की यात्रा आप को जब भी मौका मिले आप जरुर करे ।
पूनम की रात हो , आप अकेले ऋषिकेश से हरिद्वार की यात्रा नाव के माध्यम से कर रहें हो तो उस यात्रा में
जो आनद आप को मिलेगा वह अब्यक्त होगा लेकिन लेकिन आप को हर पल गंगा में रहना होगा , तन एवं मन से ।
गंगा के शांत जल में उतरा चाँद आप को कह रहा होगा ......
लो ! तुम तो कभी मेरे पास आने के लिए सोचा न होगा लेकिन मैं तेरे पास आ गयी हूँ , तेरे को उस से मिलानें के लिए जिस से मेरा और तेरा होना है ।
ऋषिकेश में गंगा -जल क्यों शांत है , उसका शांत रहना हमें क्या संकेत देता है ?
ऋषिकेश तपो भूमि है और गंगा तप का माध्यम , तप-उर्जा में तप-माध्यम का शांत रहना प्रकृति का नियम है ।
ऋषिकेश पर्यटक केंद्र नहीं है यह ध्यान -उर्जा का ब्लैक - होल [black hole ]है जो श्रद्धा से भरे ब्यक्ति को
अपनें में खीच लेती है ,वह बच नहीं सकता , कोई बचनें का रास्ता नही ।
ऋषिकेश-हरिद्वार मार्ग परम धाम के मार्ग को दिखाता है और प्रयाग से काशी का मार्ग बैराग्य में पहुंचाता है ।
ऋषिकेश-हरिद्वार मार्ग हिमालय से गंगा में उतरता एक ओंकार आप को आकर्षित करता है और प्रयाग से
काशी का मार्ग बुद्धि स्तर पर एक ओंकार के रहस्य को ब्यक्त करता हुआ बुद्धि को अपनें पर केन्द्रित कर
देता है जिसका नाम बैराग्य है ।
यदि आप का केंद्र राजस-तामस गुण हैं तो आप पहले प्रयाग से काशी तक की यात्रा करें और बाद में
ऋषिकेश - हरिद्वार की यात्रा पर चलें , यह यात्राएं आप के लिए एक नए आयाम में ले जा सकती हैं ।
गंगा - यात्रा में ध्यान मंत्र हैं - गायत्री एवं गायत्री से मिलनें वाला एक ओंकार ।
=====ॐ=======

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