अर्जुन का प्रश्न - 8 भाग - 3
अर्जुन के प्रश्न - 8 में हम गीता के 76 श्लोकों में से यहाँ सात श्लोकों [ गीता सूत्र 8.16--8.22 तक ] को देखनें जा रहे हैं जिसमें दो अति महत्वपूर्ण बातें आप को मिलेंगी ; पहली बात आज के कोस्मोलोजी [ cosmology ] से है और दूसरी बात वह है जो कल का विज्ञान बन सकता है , इस बात की कल्पना प्रोफेसर आइंस्टाइन एवं हाकिंग भी करते रहें हैं । पहली बात आज की कोस्मोलोजी आइंस्टाइन के उन विचारों पर आधारित है जिसको उन्होंनें 1916-1917 AD में सोचा था । गीता की कोस्मोलोजी जो गीता के अध्याय - 8 में है उसके सम्बन्ध में हमें तीन और श्लोकों [ 3.22,13.33,15.6] को भी देखना चाहिए । गीता पूरे ब्रह्माण्ड को तीन लोकों में देखते हुए कहता है ---मृत्यु-लोक, देव-लोक तथा ब्रह्म-लोक में ऊर्जा का माध्यम सूर्य है लेकिन इन तीनों लोकों से परे परम धाम है जो स्व प्रकाशित है । परम धाम को छोड़ कर अन्य तीन लोक पुनरावर्ती हैं अर्थात ये जन्म-जीवन - मृत्यु से प्रभावि़त हैं । आज ये लोक हैं जो धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं और कहीं और बन भी रहें हैं। आज विज्ञान नयी पृथ्वी की तलाश में शनि के चन्द्रमा टाइटन तक जा पहुँची है। वैज्ञानिक