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गीता अमृत - 27

मंदिरों में लगी लम्बी - लम्बी कतारें किनकी हैं ? गीता के निम्न श्लोकों को देखिये ....... 2.42 - 2.46, 9.20 - 9.22, 6.41 - 6.45, 14.19, 14.23, 14.20 गीता कहता है गुणों के आधार पर तीन प्रकार के लोग हैं लेकीन भोग - योग के आधार पर सात्विक गुण धारी एवं राजस - तामस गुण धारियों को दो भागों में समझा जा सकता है । राजस एवं तामस गुण धारी लोग भोग केंद्र के चारों तरफ घूमते रहते एक दिन परिधि पर आखिरी श्वास भरते हैं और सात्विक गुण धारी भोग से बैराग्य में पहुँच कर प्रभु मय हो कर आवागमन से मुक्त हो सकता है । मंदिरों के सामनें लगी कतारों में खड़े लोगों में कितनें ऐसे लोग होते हैं जिनके अन्दर कामना , लोभ , मोह एवं अहंकार का प्रभाव नहीं होता ? कितनें लोग मंदिर प्रभु को धन्यबाद देनें के लिए जाते हैं ? भोगी जब स्वयं को करता समझ कर भागते - भागते थक जाता है और यह समझनें लगता है की अब वह सफल नहीं हो सकता तब मंदिर में पहुंचता है की शायद यहाँ उसकी मुराद पूरी हो सके । जो हारे हुए हैं , वे जीत की उम्मीद से मंदिर पहुंचते हैं ...... जिनको सब कुछ उपलब्ध है , वे अपनें अहंकार को दिखानें के लिए मंदिर पहुंचते हैं ....