गीता सन्देश - 06 [Gita Sandesh - 06 ]
गीता तत्त्व विज्ञान कहता है :------- वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड में जो भी हैं , ज्ञात या अज्ञात , सब माया से हैं , माया तीन गुणों के माध्यम का नाम है , जो प्रभु से है । गुणों के तत्वों के अन्दर अपनी - अपनी ग्रेविटी हैं जो इन्सान को पकड़ कर रखती हैं । गीता कहता है :---- देह में आत्मा को जो एक द्रष्टा है , ऊर्जा का श्रोत है , उसे भी तीन गुण बाध कर रखते हैं [ Gita says - if three gunas are removed from the physical body , it will not be possible for soul to remain within the body , so three gunas are ultimate chemicals available everywhere ] गीता आगे कहता है :------ तीन लोक हैं - मृत्यु - लोक , देव - लोक और ब्रह्म लोक । तीन लोकों में ऎसी कोई सूचना नहीं है जिस पर गुणों का असर न पड़ता हो , सभी गुणों से प्रभावित हैं । वह ------- जो गुणों का गुलाम है , परमात्मा की ओर नहीं चल सकता , और ....... वह ---- जो गुनातीत है , उसके हर कदम परमात्मा में ही चलते हैं ॥ भोग के माध्यम से , होश पैदा करके योग में पहुँचकर गुनातीत बना जा सकता है , जहां ---- भोग तत्वों के बंधन पहले गिरते हैं ....... राग से वैराग्य हो