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तंत्र और योग --9

मूलाधार चक्र [The first centre ] क्या है ? तंत्र-विज्ञानं में मुख्यरूप से सात चक्रों की बात मिलती है और वे चक्र इस प्रकार हैं------ [क] मूलाधार [ख] स्वधिस्थान [ग] मणिपुर [घ] अनहद [च] अवन्तिका [छ] अजाना [ज] सहत्रार इन सात चक्रों की गणित का नाम, तंत्र है और इन से आत्मा देह के साथ अपना सम्बन्ध बनाए हुए है । मूलाधार चक्र मूलाधार चक्र रीढ़ की हड्डी के अंत में मल -इन्द्रिय के साथ होता है । यह ऊपर की ओर जनन इन्द्रिय से और नीचे की ओर दोनों पैरों से जुड़ता है । कुछ लोग इसकी तुलना हरिद्वार से करते हैं और यह बात अपनें में सच्चाई को भी धारण किये हुए है । कहते हैं , मूलाधार जब सक्रीय होता है तब वह मनुष्य परमात्मा की ओर अपना रुख करता है । मूलाधार चक्र परम प्रीती की ऊर्जा पैदा करता है लेकीन जब यह ऊर्जा ऊपर चलती है और जनन-इन्द्रिय को छूती है तब इसमें गुणों का प्रभाव आजाता है और यह निर्विकार उर्जा विकारों से भर जाती है । आप हरिद्वार गए तो होंगे ? हर की पौड़ी पर भी स्नान किये होंगे लेकीन हर की पौड़ी पर खडा होनें पर आगे बाए तरफ एक बिशाल शिव की मूर्ती है , उसको आप नहीं देख पाए होंगे ?यह मूर्ती आप को सीध