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गीता मर्म - 24

सांख्य - योग एवं कर्म - योग का परिणाम गीता सूत्र - 5.4 , 5.5 प्रभु अर्जुन से कहते हैं -------- अर्जुन ! सांख्य - योग एवं कर्म - योग का परिणाम तो एक है लेकीन सांख्य कठिन है ॥ आप सोचिये की परिणाम अर्थात फल है , क्या ? इस प्रश्न का उत्तर है , गीता श्लोक - 4.38 में -------- यहाँ प्रभु कहते हैं ...... सभी योगों का परिणाम एक है , ज्ञान की प्राप्ति ॥ गीता में कुछ पानें के लिए गीता में अपनें बुद्धि को घुलाना पड़ता है , गीता कोई बीज गणित की किताब नहीं की एक अध्याय में उस अध्याय की पूरी जानकारी एक जगह मिल जाती है । गीता सागर है जिसमें मनुष्य की बुद्धि को गोता लगाना पड़ता है और कई गोतो के बाद कोई एकाध मोती हाँथ लगता है । सांख्य - योग का सीधा अर्थ है - वह योग जिसकी बुनियाद तर्क - वितर्क पर हो जैसे विज्ञान , और कर्म - योग वह है जिसका आधार कर्म हो । ==== ॐ =====