भोजन-भजन
भोजन भजन में और भजन भोजन में जब होता है तब वह योगी होता है । भोजन जब तक भूख मिटानें का साधन है तब तक वह भोजन सात्विक भोजन है और जब यह स्वाद आधारित होता है तब राजस - भोजन होता है। आइये पहले गीता के कुछ श्लोकों को देखते हैं --------- श्लोक 17.7---17.10 गुणों के आधार पर तीन प्रकार के लोग हैं और उन सबका अपना-अपना भोजन हैं । सात्विक लोग साकाहारी एवं सरल भोजन पसंद करते हैं, राजस गुन धारी मिर्च-मसाला वाला तीखा भोजन पसंद करते हैं और तामस गुन धारी लोग गंध युक्त भोजन चाहते हैं । सात्विक लोग ताजा भोजन करते हैं और अन्य दो बासी भोजन में रूचि रखते हैं । श्लोक 18.40 प्रकृति के कण-कण में तीन गुन हैं । श्लोक 14.10 मनुष्य में तीन गुणों का एक समीकरण होता है जो हर पल बदलता रहता है । श्लोक 14.5 तीन गुन आत्मा को देह में रोक कर रखते हैं । श्लोक 14.20, 13.19, 7.14 माया तीन गुणों का माध्यम परमात्मा से है जिस में प्रकृति-पुरूष को जोडनें का काम तीन गुन करते हैं और फल स्वरूप भूतों की रचना है । भोजन को समझनें के लिए हमें निम्न बातों को समझना चाहिए ------- भोजन तैयार करनें का जब भाव मन में उठे तब से भोजन करनें त