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गीता अध्याय - 07

Title :गीता अध्याय - 7 Content: गीता अध्याय - 7 ** अध्याय में कुल 30 श्लोक हैं और सभीं श्लोक प्रभु श्री कृष्ण के हैं । ** यह अध्याय अर्जुन के प्रश्न -7 ( श्लोक - 6.37 + 6.38 - 6.39 ) के उत्तर रूप में बोला गया है ,अर्जुन अपनें प्रश्न में पूछते हैं :- -- " श्रद्धावान पर असंयमी योगी का योग जब खंडित हो जाता है तब वह भगवत् प्राप्ति न करके किस गति को प्राप्त करता है ? # इस अध्यायमें प्रभु अपनें 22 श्लोकोंके माध्यम से अर्जुनको सविज्ञान -ज्ञान रूप में यह बता रहे हैं कि हे अर्जुन तुम निराकार मुझको साकार माध्यमों से कैसे समझ सकते हो ? पहले प्रभुके उन श्लोकों को देखते हैं जिनका सम्बन्ध इस प्रसंग से है ।सविज्ञान ज्ञानका भाव है साकारसे निराकार में पहुँचना । <> श्लोक : 7.3+7.6 - 7.17 तक + 7.21- 7.7.26 तक + 7 7.28-7.30 तक -कुल 22 श्लोक । ^^अब इन श्लोकों में यात्रा करते हैं ।^^ * श्लोक : 7.3 > हजारों ऐसे लोग जो मुझे समझनें का यत्न करते हैं उनमें एकाध को सिद्धि भी मिल जाती है पर हजारों सिद्धोंमें कोई -कोई मुझे तत्त्व से समझ पाता है । तत्त्वसे समझना क्या है ? तत्त्व से समझना अर्थात