अर्जुन का प्रश्न - 7
अर्जुन अपनें सातवें प्रश्न में पूछते हैं .....श्रद्धावान पर असंयमी योगी जब योग खंडित स्थिति में शरीर छोड़ता है तब उसकी क्या गति होती है [ गीता-श्लोक ...6.37- 6.39 तक ] ? उत्तर के लिए आप देखें गीता के निम्न श्लोकों को ----- 2.42- 2.46 , 2.3 , 2.37 , 6.40- 6.47 , 7.1- 7.30 , 8.6 , 9.13 - 9.15 , 9.20 -9.22 , 12.3 - 12.4 , 13.5 - 13.6 , 13.19 , 14.3 - 14.4 , 15.8 , 16.1 - 16.3 अर्जुन इस प्रश्न के पहले श्री कृष्ण के 556 श्लोकों में से 206 श्लोकों को सुन चुके हैं । अर्जुन को अब ऐसा लगनें लगा है --वे असंयमी योगी की तरह हैं और उनका योग खंडित होता दिख रहा है । श्री कृष्ण [ गीता..6.40 ] के माध्यम से कहते हैं ---परमात्मा केंद्रित ब्यक्ति की कभी दुर्गति नहीं होती । योग एक अंतहीन यात्रा है । योग खंडित योगी दो प्रकार के हो सकते हैं ; एक वे हैं जो अभी बैराग्यावस्था तक नहीं पहुंचे होते और उनका योग खंडित हो जाता है तथा इस दशा में उनके शरीर का अंत हो जाता है , ऐसे योगी कुछ समय स्वर्ग में निवास करते हैं और फ़िर किसी अच्छे कुल में जन्म ले कर साधना में लग जाते हैं । दूसरी श्रेणी में ऐसे योगी आते हैं जो ब