गीता अमृत - 62
बुद्धि एवं गीता ++ गुणों के आधार पर बुद्धि तीन प्रकार की होती है - गीता ... 18.29 - 18.32 ++ योगी की बुद्धि निश्चयात्मिका बुद्धि होती है और भोगी की अनिश्चयात्मिका बुद्धि होती है - गीता ... 2.41, 2.66 ++ बुद्धि अपरा प्रकृति का एक तत्त्व है - गीता .... 7.4 - 7.5 ++ प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं , बुद्धि , मैं हूँ - गीता .... 7.10 गीता की कुछ बातें आप के सामनें हैं , इनके आधार पर आप स्वयं सोंचें की बुद्धि क्या है । गीता श्लोक - 2.47 से 2.53 तक को आप देखें , जिनमें परम श्रीकृष्ण कहते हैं - समत्व - योग ही बुद्धि - योग है । गीता मूलतः बुद्धि - योग हैं , और आज बुद्धि केन्द्रित लोगों की शंख्या सबसे अधिक है अतः आज गीता को अपना कर कोई चिंता रहित हो सकता है । ====== ॐ ======