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गीता सन्देश - 14

आसक्ति एक भोग ऊर्जा है ------ हम इस समय गुण तत्वों में आसक्ति को देख रहे हैं , तो चलिए! आगे देखते हैं की ..... गीता क्या कह रहा है ? गीता सूत्र - 3.35 जैसे आसक्त ब्यक्ति कर्म करता है वैसे कर्म को एक अनासक्त ब्यक्ति को भी करना चाहिए ॥ गीता सूत्र - 3.26 + 3.29 अज्ञानी जो कर रहा है उसके कर्म में ज्ञानीजन को दखल नहीं देना चाहिए अर्थात धार्मिक बातों में उलझाकर उसके ध्यान को हिलाना नहीं चाहिए ॥ गीता सूत्र - 2.62 - 2.63 इन्द्रिय - बिषय मिलन से मन में मनन उठता है जो आसक्ति पैदा करता है , आसक्ति से कामना आती है और जब कामना टूटनें का अंदेशा दिखता है तो कामना की ऊर्जा क्रोध में बदल जाती है ॥ गीता की इन बातों में आप अपनें को घुलानें की कोशीश करें , कुछ और .... अगले अंक में ........ ==== ॐ ======