गीता अमृत - 6
स्थिर प्रज्ञ कौन है ? गीता - 2.54 गीता में अर्जुन का पहला प्रश्न है ----स्थिर प्रज्ञ की पहचान क्या है ? इस सम्बन्ध में अब गीता की कुछ बातें देखते हैं ------- [क] गीता सूत्र 2.55 - 2.71 तक निर्विकार मन - बुद्धि वाला , समभाव वाला , परमात्मा के परम प्यार में डूबा ब्यक्ति ---- [ख] गीता सूत्र 14.22 - 14.26 तक गुणों को करता समझनें वाला ---- [ग] गीता सूत्र 12.13 - 12.20, 2.11, 18.42 समभाव वाला ---- [घ] गीता सूत्र 3.17, 5.24, 6.29 - 6.30, 18.55 - 18.56 आत्मा केन्द्रित ब्यक्ति ---- स्थिर - प्रज्ञ होता है । स्थिर प्रज्ञ , संन्यासी , बैरागी , योगी , गुनातीत , परा भक्त --ये सबहीं शब्द उनके लिए हैं जो --- परम प्रीती में डूबा रहता है । =====ॐ=====