तंत्र और योग ----10
स्वाधिस्थान चक्र [Sex Centre] योगी का घर मंदिर होता है और ----- भोगी का मंदिर भी उसके घर जैसा होता है । गीता में काम को समझनें के लिए आप निम्न श्लोकों को देखें -------- 3.36 - 3.43 , 5.23 , 5.26 , 7.11 , 10.28 , 16.21-----तेरह श्लोक गीता कहता है ---- राजस एवं तामस गुणों वाला ब्यक्ति परमात्मा से नहीं जुड़ सकता [गीता ....2.52 , 6.27 ] गीता कहता है --- वह ब्यक्ति जो आत्मा केन्द्रित होता है , काम से अप्रभावित रहता है और कोई काम से नहीं बच सकता । आसक्ति , काम , कामना , क्रोध एवं लोभ राजस गुण के तत्त्व हैं । गीता में श्री कृष्ण कहते हैं --- कामदेव और काम मैं हूँ ...इस का क्या अर्थ हो सकता है ? काम देव काम भाव को शरीर में लाते हैं और काम राजस गुण का प्रमुख तत्त्व है फिर श्री कृष्ण क्या कह रहे हैं ? श्री कृष्ण जिस काम की बात कर रहे हैं वह निर्विकार काम ऊर्जा है जो प्रकृति को धारण किये हुए है , लेकीन जब इस उर्जा में गुण की छाया पड़ती है तब यह काम कृष्ण मय नहीं होता । गीता की इस बात को समझनें केलिए , आप देखें गीता के सूत्र --7.12 - 7.१३-- जो कहते हैं ..... भावातीत - गुनातीत परमात्मा से सभी भाव