अर्जुन का प्रश्न- १ [ श्लोक...२.५४ ]
गीता में अर्जुन के 16 प्रश्नों को पहले दिया जा चुका है , अब हम उन प्रश्नों को ले रहे हैं और प्रश्न-उत्तर के माध्यम से गीता अध्याय- 2 से अध्याय-18 तक को देखनें जा रहे हैं। हम सब की यह यात्रा बिषय से बैराग्य तक की यह यात्रा कितनी कामयाब होती है यह हमारी श्रद्धा पर निर्भर है । प्रश्न ... स्थिर प्रज्ञयोगी की पहचान क्या है? जिसको समाधी के माध्यम से परमात्मा की अनुभूति हुयी होती है । उत्तर... उत्तर के लिए परम श्री कृष्ण 18 श्लोकों को प्रयोग करते हैं [2.55--2.72 तक ] । अध्याय दो में तीन बातें समझनें के लिए हैं ; इन्द्रिय - सुख में दुःख का बीज होता है [ गीता-2।14।, 2।15 ,5.22 , 18.38 ] , समत्व-योगी ---- स्थिर-प्रज्ञ होता [गीता 2.47..2.50 तक] है और आत्मा क्या है [ गीता- 2.18...2.30 तक ] ? गीता में श्री कृष्ण से मिलनें के लिए जरुरी है अर्जुन को समझना क्योंकि अर्जुन ठीक हम-आप जैसे मोह-भय ग्रसित ब्यक्ति हैं जो हर पल अपना रंग बदलते रहते हैं । अर्जुन को इतना तो पता है की स्थिर प्रज्ञ को समाधि का अनुभव होता है और वह परमात्मा को पा चुका होता है लेकिन फ़िर स्थिर प्रज्ञ की पहचान पूछ रहें हैं । आत