Posts

Showing posts with the label प्रश्न-९

अर्जुन का प्रश्न - 9

प्रश्न -- हे भूतों के उत्पत्ति करता, जगत पति , देवों के देव , भूतों के ईश्वर , पुरुषोत्तम आप परम पवित्र परम धाम एवं परम ब्रह्म हैं । आप की बातों को सुनकर और सुननें की चाह उत्पन्न हो रही है अतः आप मुझें बताएं की मैं आप को किन-किन भावों में मनन करुँ ? उत्तर -- प्रश्न की बातों को आप अच्छी तरह से देखलें , अर्जुन जो कुछ भी कह रहे हैं क्या उसके बाद भी कोई और जाननें की गुंजाइश है ? गीता में श्री कृष्ण 100 से भी अधिक श्लोकों के माध्यम से 150 से भी कुछ अधिक उदाहरणों से अर्जुन को परमात्मा पर केंद्रित करनें का प्रयत्न करते हैं लेकिन उनका यह प्रयत्न बेकार जाता है तो क्या आप समझते हैं , हम- आप हनुमान चालीसा पढ़ कर परमात्मा केंद्रित हो पायेंगे ? श्री कृष्ण गीता -अध्याय 5,7,8 तथा 9 में 40 उदाहरणों से स्वयं को परमात्मा बतानें का प्रयत्न करते है लेकिन यह प्रयत्न विफल हो जाता है और प्रश्न - 9 के सन्दर्भ में पुनः 78 उदाहरणों की मदद से अर्जुन को परमात्मा केंद्रित करनें की कोशिश करते हैं लेकिन यह प्रयत्न भी कामयाब नहीं हो सका। श्री कृष्ण जैसा सांख्य - योगी अर्जुन जैसे ब्यक्ति को जो स्वयं एक साधक है