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गीता अमृत - 99

अंधों की बस्ती में चिराग बेचनें वाले ----- जिस समय श्री राम - श्री कृष्ण रहे होंगे वे दिन कैसे थे ? इस का अंदाजा लगाना तो कुछ कठिन सा लगता है लेकीन आज का समय कैसा है क्या कभीं मन में इस बात की सोच भी उठती है ? आज आये दिन नए - नए योगी , साधू , बैरागी , संन्यासी , पंथ , दर्शन , शास्त्र , मंदीर और आश्रम देखनें को मिलते हैं , यदि कोई किसी और लोक से पृथ्वी पर आये और धर्म के फैलाव के साधनों को देखे तो उनके मन में कैसा भाव उठेगा ? एक महान ध्यान गुरु अपनें उपदेश में एक बार कहे हैं ------- महाबीर और बुद्ध बैलगाड़ी - युग के ध्यानी थे लेकीन हमारे ध्यानी सबसे महंगी गाड़ियों के मालिक हैं । बुद्ध और महाबीर दोनों सम्राट थे , दोनों को जब पराम प्रीति की लहर लगी तब दोनों महल छोड़ कर जंगल की शरण में सत की खोज के लिए गए और आज लोग पांच सितारे आश्रमों में जा रहे हैं जहां अति आधुनिक भोग साधन उपलब्ध हैं , वह भी किफायती दर पर । मैं एक दर्शन शास्त्री की किताब पढ़ रहा था , एक जगह उनका कहना था ------ मैं इस पुरानें तथ्य को गलत साबित कर दिया की निर्वाण प्राप्त योगी काम से दूर हो जाता है । आज लोग ऐसे सन्यासीयों को चाह