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गंगा जल से समाधि तक --3

नासा एवं इसरो [NASA and ISRO]के वैज्ञानिक कह रहे हैं की सन 1780 से गंगोत्री ग्लेसिअर सिकुड़ रहा है । न्यूटन [ 1642-1727] से आधुनिक विज्ञानं अपना पंख फैला रह है और जैसे-जैसे विज्ञानं का पर फ़ैल रहा है , वैसे-वैसे गंगोत्री सिकुड़ रही है ,ऐसा क्यों हो रहा है ? इस बात पर हम- आप सब को सोचना चाहिए । उन्नीसवी शताब्दी तक विज्ञानं का बचपन था और अब दिन प्रति दिन विज्ञानं जवान हो रहा है और इस जवानी के आलम में क्या हो रहा है , उस पर भी एक नजर डालते हैं ------ पृथ्वी अन्दर से खाली हो रही है और ऊपर से गंजी हो रही है । पहाड़ों को काटा जा रहा है । आज जो पहाड़ नदियों का मार्ग निर्धारण कर रहे हैं उनको झील में बदला जा रहा है । जंगल समाप्ति पर हैं । जीव जंतुओं का अस्तित्व खतरे में है । संकर बीज, संकर बनस्पतियां एवं संकर पशु पैदा किए जा रहे हैं । संकर जाति के मानव पैदा हो रहे हैं । अब आप सोचिये की इनसे पृथ्वी का अस्तित्व कितना मजबूत है और मानव सभ्यता का भविष्य किधर जा रहा है ? गंगा विज्ञान के समय में क्यों सिकुड़ रही है ? इस बात के सदर्भ में गंगा की यात्रा करते हैं । गंगोत्री से प्रयाग तक की गंगा पर