गीता में दो पल - 13
बिषयकी पकड़ बिषयकी आसक्ति ही भोग सम्मोहन की उर्जा है । बिषयका आकर्षण दुखों की जननी है - ययाति: भागवत: 9.19 । इन्द्रिय बिषय ( क्षर भावः ) अधिभूत हैं -भागवत :3.6 + गीता : 8.3 - 4 । बिषय -आसक्ति सत्संग से मिटती है : भागवत : 1.7 । आसक्ति रहित कर्म समत्व - योग है । समत्व योगी ब्रह्म वित् होता है : गीता : 5.19 । ब्रह्म वित् प्रभुका पर्यायवाची शब्द है । ~~~ ॐ ~~~