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गीता मर्म - 23

निष्काम कर्म दर्पण पर .... कान्हा दिखते हैं ------- गीता में प्रभु श्री कृष्ण अर्जुन को निष्काम कर्म के रहस्य को बिभिन्न ढंग से बतानें की कोशिश करते हैं और कर्म योग साधना का फल है निष्काम कर्म का होना , जिसके होनें में ज्ञान की प्राप्ति होती है । ज्ञान वह दर्पण है जिस पर कान्हा के अलावा और किसी का प्रतिबिम्ब नहीं बनता । क्या है निष्काम कर्म ? ** यदि आप गृहिणी हैं , अपने परिवार के लिए भोजन बनाती हैं , भोजन बनानें के पीछे यदि आप के मन में कोई राज न छिपा हो जैसे लोग यह कहें की आज का भोजन बहुत स्वादिष्ट है या कोई अन्य प्रकार का भाव - आप के मन में हो जो आप के अन्दर अहंकार एवं करता भाव लाता हो , ऐसा कर्म निष्कर्म कर्म नहीं होता । यदि भोजन बनानें की अवधी में आप के अन्दर यह भाव बना रहे की आप प्रभु का प्रसाद बना रहे हैं तो वह कर्म निष्काम कर्म होगा । निष्काम कर्म तब घटित होता है जब ....... ## तन मन बुद्धि प्रभु पर केन्द्रित हों ## सारा संसार प्रभु के फैलाव के रूप में दिखता हो ...... ## बुद्धि में कोई संदेह न उठता हो ..... ## कोई अपना - पराया सा न दिखता हो ..... ## सुख - दुःख में अन्तः करण एक