क्या अपना संसार भय का है ?

जरा सोचना ------

कामना में भय , क्रोध में भय , काम में भय , अहंकार में भय और मोह भय साथ-साथ रहते ही हैं तो क्या -----
यह संसार जिसके हम सम्राट हैं , वह भय का सागर है ?
एक भारतीय महिला जिसका जन्म अब से पचास वर्ष पूर्व में हुआ हो , जो आप की पत्नी हो सकती है , जो आप की
माँ हो सकती है , जो आप की बहन हो सकती है , उसको देखें ।
जो जब अपनें माँ-पिता के घर में थी तो वह पुत्री होने के कारन भयभीत रहा करती थी , अब वह किसी की पत्नी है , अपनें माँ- पिता का घर छोड़ कर पराये को अपना बनानें आई है और ऐसे में भय का होना स्वाभाविक ही होगा ।

बेटी - पुत्री होनें से पत्नी बननें तक की दूरी कब और कैसे तय कर लिया , उसे पता तक न चल पाया और अब स्वयं माँ बन गयी है जो अपने औलाद का गुरु भी है , उसकी स्थिति कैसी है ? इस को देखए ।

गर्भ वती महिला हर पल भय में होती है , कभी उसे अपनें लिए भय होता है तो कभी अपनें बच्चे की सुरक्षा से चिंतित रहती है । गर्भ का बच्चा अपनें माँ की हर संवेदना को ग्रहण करता रहता है । एक भयभीत माँ अपने गर्भ के बच्चे को भय का बीज देती है जो उसके जीवन में पेंड बन जाता है और वह उस पेंड की छाया को कभी छोड़ना नहीं चाहता ।
हजारों वर्ष पुरानें भारतीय धार्मिक साहित्य में एक गर्भवती महिला के रख - रखाव की जो बातें दी गयी हैं वे सब आज के बिषय हैं जिनको child development , child psychology तथा कई और नाम दिए गए हैं पर उन बातों को समझनें की कोशिश भी कौन करता है ? हमें आदत का जहर पिलाया गया है , हम उस जहर के नशे में सारा काम करते हैं और परिणाम मिलनें पर रोते हैं ।

जब बच्चा चलनें लायक हो जाता है तब उसके आस-पास के सभी लोग उसके गुरु बन जाते हैं , सभी लोग उसे जीनें की कला सिखाते हैं लेकिन उन लोगों को यह पता नहीं होता की जो वह सिखा रहे हैं वह उनका अपना अनुभव नहीं है वह उनको ठीक उसी तरह मिला है जैसे वे उस बालक को दे रहे हैं ।

एक दिन वह बच्चा दादा बन जाता है , और मृत्यु के भय से मन्दिर को पकड़ लेता है उसे अपनें घर के बच्चों में बाल कृष्ण नहीं दिख पाते , बाल कृष्ण की तस्बीर ले कर चलता रहता है ।
जब हमारा गर्भ से मृत्यु तक का जीवन भय की छाया में गुजरता है तो इस जीवन में आनंद की लहर कब और
कैसे उठ पायेगी ?
गीता कहता है ------
भय में बैराग्य नहीं मिलता ....गीता 2.52, बिना बैराग्य संसार का ज्ञान नहीं होता ....गीता 15.3 और बिना इस ज्ञान , माया मुक्त होना कठिन है और केवल माया मुक्त
योगी यह जानता है की ......भय क्या है ?
===ॐ=======

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बहुत अच्छी पोस्ट है। बधाई।

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