गीता अमृत - 82
आइये ! अब कुछ गीता सारांशों को देखते हैं -------
[क] भाषा बुद्धि की उपज है .....
[ख] भाषा भावों को ब्यक्त करना चाहती है लेकीन असफल रहती है ....
[ग] भावों में डूबा भाषा के माध्यम से जब अपनें भावों को ब्यक्त करता है तब वह और अतृप्त हो उठता है ....
[घ] भाषा से भाव ब्यक्त होते तो ----
## बुद्ध को चालीश वर्ष क्यों बोलना पड़ता ....
## काशी में कबीरजी सौ वर्षों से भी अधिक समय तक क्यों बोलते ....
[च] भाव एक माध्यम हैं जो भावातीत में पहुंचाते हैं ....
[छ] भावों को समझो , भावों से लड़ो नहीं .....
[ज] भाव दो प्रकार के हैं - सकारण और बिना कारण ....
[ज-१] सकारण भाव नरक में ले जाते हैं और .....
[ज-२] कारण रहित भाव प्रभु से जोड़ते हैं
[झ] सकारण भाव गुणों से आते हैं , और ....
[झ-१ ] बिना कारण भाव ह्रदय से उठते हैं ...
[झ-२] ह्रदय में आत्मा - परमात्मा रहते हैं ...
[झ-३] ह्रदय बासना रहित प्यार का श्रोत भी है ॥
==== ॐ =====
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