सांख्य आधारित गीता के 18 श्लोकों का आखिरी भाग

 श्रीमद्भगवद्गीता के 18 सांख्य आधारित श्लोकों की शृंखला का आखिरी भाग आज यहाँ निम्न स्लाइड के माध्यम से दिया जा रहा है ।

भारतीय हम लोगों की मानसिकता पिजड़े में बंद है ; हजारों लाखों लोगों में कोई एक उसे आज़ाद कराने की जिज्ञासा रखता है । इन जिज्ञासुओं में कोई विड़ला उसे आज़ाद कराने का यत्न कराता है और उन में से कोई कदाचित कामयाब भी हो पाता है।

पतंजलि योग दर्शन और सांख्य दर्शन कहानियों का दर्शन नहीं , ये शुद्ध सिद्धान्त के दर्शन हैं । बहुत कम लोग हैं जो इन पर अपनी दृष्टि टिका पाते हैं और उनमें से सफल हुए , माया आवरण के परे हो जाते हैं और उसे देखमें की दृष्टि पा लेते हैं जिसके दर्शनार्थ माया ( प्रकृति ) का अस्तित्व बना हुआ है।

आइये घडी दो घडी इस स्लाइड पर चित्त को रोकने की कोशिश करते हैं ⏬


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