गीता में 18 सांख्य आधारित श्लोक भाग 2 - 3

 यहाँ हम और आप 72 सांख्य कारिकाओं की यात्रा पूरी करने के बाद अब गीता - यात्रा की अलमस्ती में हैं । कई माह पहले जब सांख्य दर्शन की 72 कारिकाओं को प्रस्तुत किया जा रहा था तब यह बात कही गयी थी कि बिना सांख्य दर्शन - कारिकाओं को समझे गीता , भागवत एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों में दिए गए सृष्टि - विकास सिद्धान्त को ठीक - ठीक नहीं समझा जा सकता । ज्ञान वह जो अपने में पूर्ण हो अर्थात जिसको ग्रहण करने पर किसी प्रकार का संदेह - भ्रम नहीं उपजा चाहिए और अंतःकरण में एक शब्दातीत आनंद की अनुभूति होनी चाहिए ।

इस बुनियादी सिद्धान्त के आधार और हम गीता के ऐसे श्लोकों को पहले ले रहे हैं जिनमें या तो सांख्य शब्द आया हुआ है या फिर सांख्य के सिद्धांतों को कुछ बदलाव के साथ प्रस्तुत किया गया है।

अब नीचे दी जा रही दो स्लाइड्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं और देखते हैं गीता क्या कह रहा है । ⬇️




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