गीता सन्देश - 03

गीता कहता है .........
पढो नहीं , चलो ॥

आप कहीं जब परिभ्रमण के लिए जाते हैं तो वहाँ का टूरिस्ट - मैप अपनें साथ रखते हैं ।
अंतहीन यात्रा की यात्रा का नक्शा , गीता में है , और गीता कहता है .........
तुम पढ़ रहे हो , अच्छा है -----
पढो , खूब पढो लेकीन याद रखना , पढनें - पढनें में कहीं समय न निकल जाए ॥
यह भी याद रखना -------
एक न एक दिन ......
इस जनम में या .....
अगले जनम में .....
कभी न कभी तेरे को इस मार्ग पर तो चलना ही होगा , क्योकी ......
अभी तुम ......
कभी राम को पकड़ते हो , तो ....
कभी काम को ॥
एक दिन जरुर आयेगा , जब तेरे को पता चलेगा की .....
राम और काम दोनों , दो नहीं एक ही हैं , हम द्वैत्य में जीते हैं ,
वासना को प्यार कहते हैं और .....
चक्कर काट रहे हैं एक इलिप्स मार्ग पर ॥
सर्कल और इलिप्स में एक फर्क है ;
सर्कल का एक केंद्र होता है , और ....
इलिप्स के दो केंद्र होते हैं ॥
मनुष्य के जीवन में जब तक दो केंद्र हैं - राम और काम , तब तक ......
वह मनुष्य कभी .....
जानवर की तरह होगा तो ....
कभी योगी की तरह ॥
गीता कहता है .......
काम तो एक माध्यम है और माध्यम कभी साध्य नही हो सकता ॥
माध्यम में उलझे रहनें वाला अपनें लक्ष्य को कभी छु नही सकता , अतः .....
काम से चाल कर राम में अपनें को ऐसा घुला दो की ......
बूँद समानी समुद्र में , क्यों ...... ॥

===== ॐ ======

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