महर्षि पतंजलि के विभूति पाद के सूत्र - 1 में धारण की परिभाषा मिलती है । पतंजलि के अष्टांगयोग की 08 भूमियों मरण से धारणा 06 वी भूमि है । 08 भूमियों में पहली 05 , बाह्य भूमियाँ हैं और आखिरी 03 ( धारणा , ध्यान , समाधि ) आतंरिक भूमियाँ हैं । महर्षि के शब्द जीवंत शब्द हैं , मुर्दे शब्द नहीं हैं । योग साधक की आत्मा जब महर्षि के शब्दों को छूती है तब स्थूल शरीर में हल्का सा कंपन पैदा होता है लेकिन यह क्षणिक होता है । योग साधक के लिए पतंजलि के शब्द पारिजात मणि जैसे पारदर्शी होते हैं जिसमें साधक स्वयं के रूप को देखता है । आइये , सब चलते हैं विभूति पाद सूत्र - 1 में 👇