सामवेद
➡️ सामवेद में संगीत और वाद्य यंत्रों के संबंध में गूढ़ बातें दी गयी हैं ।
★ सामवेद में मन्त्र संख्या 1875 है और
इनमें से केवल 75 मन्त्र सामवेद के हैं /
● सामवेद में ऋग्वेद के 1504 मन्त्र हैं ।
● और शेष 296 मंत्र यजुर्वेद के हैं ।
प्रभु श्री कृष्ण गीता : 10.22 में कहते हैं , वेदों में सामवेद , मैं हूँ और गीता : 9.17 में कहते हैं , ऋग्वेद , यजुर्वेद और सामवेद , मैं हूँ / महाभारतके अनुशासन पर्वके अंतर्गत भी सामवेदका उल्लेख मिलता है ।
➡️ अग्नि पुराणमें भी सामवेदका उल्लेख है ।
सामवेद में कुछ वैज्ञानिक बातें भी दी गयी है , जैसे
● चन्द्रमा , सूर्य के कारण प्रकाशित है /
◆ इंद्र पृथ्वी को गतिमान बनाये हुए हैं /
इस वेदकी 1001 शाखाएं हैं पर इस समय इनमें से मात्र 10 ही उपलब्ध हैं । सामवेद संहिता के दो भाग है ; आर्चिक और गान ।
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कुछ मूल बातें...
● सामवेद में लिखा है ," पृथ्वी गतिमाम है और इसे गतिमान इन्द्र किये हुए हैं ।
● चंद्र मंडलमें सूर्य किरणें विलीन हो जाती हैं ।
● चंद्रमा सूर्य किरणों से प्रकाशित है ।
● अग्नि द्यूलोकसे पृथ्वी तक के जीवों को पालता है।
● अग्नि जलको रूप और गति देने में समर्थ है ।
द्यूलोक अर्थात वह स्पेस जहाँ सूर्य , चंद्रमा और तारा गण हैं ।
श्रीमद्भागवत पुराण में पृथ्वी के ऊपर के लोकों का वर्णन कुछ निम्न प्रकारसे किया गया है ⤵️
पृथ्वी कर्म स्थान है ,भूत - प्रेत अंतरिक्ष में रहते हैं ,और स्वर्गलोक में देवताओं का निवास होता है । महर्लोकमें साधक लोग रहते हैं तपलोक सिद्धों का है । सतलोक ब्रह्मलोक है ध्रुवलोक ध्रुव जी का है ।
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सामवेद की 1001 शाखाओं में से अब 03 ही उपलब्ध हैं जो निम्न प्रकार हैं ⬇️
1- कोथुमीय 2 - जैमिनीय 3 - राणायनीय
इन तीनों को दो भागों में बाटा गया है :
पूर्वार्चित और उत्तरार्चिक । पूर्वार्चिक में 04 कांड हैं ; आग्रेय , ऐंद्र , पवमान और आरण्य । 04 कांडों में 640 मंत्र हैं । महानामन्य अर्चित में 10 मंत्र हैं , इस प्रकार 04 कांडो में 650 श्लोक होते हैं । उत्तरार्चिक में 21 अध्याय और 09 प्रपाठक हैं ।
सामवेद में कुल 1975 मंत्र हैं जिनमें अधिकांश मंत्र ऋग्वेदीय हैं ।
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साम का अर्थ है , गान , सामवेद में देवताओं की स्तुतियों के रूप में मंत्रों को गाया गया है । सामवेद के 1875 मंत्रों में से 1800 मंत्र ऋग्वेदीय हैं शेष 75 सामवेद के मूल मंत्र हैं ।
सामवेदका प्रमुख देवता सूर्य 【सविता 】 हैं । इन्द्र को भी प्रमुख स्थान दिया गया है । सामवेद भारतीय संगीत का सागर है ।
यज्ञ , अनुष्ठान और हवन आदि में सामवेदीय मंत्र गाये जाते हैं।
सामवेद संहिता के 02 भाग हैं - आर्चिक और गान ।
इसकी 13 शाखाओं में से कौमुथीय , राणायनीय और जैमिनीय 03 शाखायें उपलब्ध हैं ।
सामवेद के 16 उपनिषद् हैं जिनमें
★ छान्दोग्य उपनिषद् ( कृष्ण - बिष्णु संबंधित )
★ केन उपनिषद् उपलब्ध हैं । छान्दोग्य उपनिषद् ब्रह्म ज्ञान से संबंधित है । इसमें कहा गया है कि सृष्टि पूर्व सत्य था , उससे असत्य का जन्म हुआ । इस सत्य को ब्रह्म की संज्ञा दी जाती है लेकिन तैत्तरीय उपनिषद् में इसका ठीक उलटा बताया गया है ।
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