ईशोपनिषद् 11 , 12 , 13
ईशोपनिषद् श्लोक :11 - 13
जो विद्या - अविद्या दोनों का बोधी है वह अविज्ञा जनित मृत्यु भय से मुक्त हो कर विद्या से अमरत्व को प्राप्त करता है ।
व्यक्त और अव्यक्त के उपासकों के सम्बन्ध में उपनिषद् के ऋषि कह रहे हैं ⬇️
व्यक्त के उपासक गहन अंधकार में जाते हैं
और उससे भी अधिक अंधकार में अव्यक्त के उपासक जाते हैं ।
बुद्धिमान उसे ( प्रभु को ) व्यक्त - अव्यक्त से परे देखते हैं ।
~~ ◆◆ ॐ ◆◆~~25 अक्टूबर
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