गीता अमृत - 31
बुद्धि की भी सीमा है लेकीन वह -------- ?
Bose - Einstein super condensate theory [ 1922 ] - लगभग एक सौ वर्ष बाद अब उस कण को बनानें में कामयाब दिख रही है जिस के आधार पर वह Quantum - Particle विज्ञान में एक और क्रांति ला सकेगा ।
गीता का क्वांटम कण है - आत्मा जिससे गीता का प्रारम्भ है , जिस कण का विज्ञान कुरुक्षेत्र में प्रभु कृष्ण के द्वारा तीन वेदों के रसायनों से अर्जुन के मोह को समाप्त करनें के लिए किया गया । लगभग 5560 BCE - 800 BCE में गीता का जन्म हुआ - ऐसी मान्यता है , तब से आज तक यह परम कण भारत भूमि की चारों दिशाओं में बिकिरण के माध्यम से अपनी ऊर्जा को भर रहा है । परम कण - आत्मा को जो समझता है वह चुप हो जाता है और जो , कुछ बताना चाहते हैं उनको सुननें वाले लोग नहीं होते और यह आत्मा का
Quantum Science तब से आज तक मंदिरों की दीवारों को देखा रहा है । आइये अब हम गीता के कुछ परम ज्ञान को देखते हैं ---------
[क] मन - चेतना [ गीता - 10.22 ], बुद्धि [ गीता - 7.10 ] , समय [ गीता - 10.30 ], काम [ गीता - 7.11 ], काम देव [ गीता - 10.28 ] , पुरुष - तत्त्व [ गीता - 7.8 ], शिव [ गीता - 10.23 ], हिमालय [ गीता - 10.23 ],गंगा [ गीता - 10.31 ], समुद्र [ गीता - 10.24 ] --सबके ह्रदय में स्थित आत्मा जो सब का आदि , मध्य एवं अंत है [ गीता - 10.20 ] ... यह सब , मैं हूँ --ऐसी बात परम कहते हैं ।
[ख] माया से परे ज्योतियों की ज्योति परम ज्योति साक्षी की तरह सब के ह्रदय में आत्मा रूप में , मैं हूँ ---
गीता सूत्र - 13.17, 13.22
[ग] बुद्धि की ऊर्जा , सब के ह्रदय में स्थित आत्मा मेरा एक अंश है ---गीता सूत्र - 15.7, 15.15
[घ] ह्रदय में स्थित परमेश्वर सब को कर्मों के अनुकूल दौडाता रहता है --- गीता सूत्र - 18.61
[च] सब का जीवन अब्यक्त से अब्यक्त की यात्रा का मध्य भाग है -------- गीता सूत्र - 2.28
[छ] प्रभु सत है और सत भावातीत है ----गीता सूत्र - 2.16
[ज] प्रभु सत है , असत है , न सत है , न असत है ----गीता सूत्र - 9.19, 13.12
[झ] स्व प्रकाशित परम धाम ही प्रभु है जो अब्यक्त है --गीता सूत्र - 8.20, 8.21, 15.6
*** जो कुछ भी है सब प्रभु से प्रभु में है ---गीता सूत्र - 13.15
### प्रभु मन - बुद्धि से परे की अनुभूति है ---गीता सूत्र - 12.3 - 12.4
@@ योग सिद्धि में प्रभु का पता चलता है वह भी आत्मा के माध्यम से -- गीता सूत्र - 4.38
*** प्रभु ध्यान से ह्रदय में दीखता है --- गीता सूत्र - 13.24
ऊपर गीता के कुछ सूत्र आप को अर्पित हैं , आप से प्रार्थना है ------
आप मेरी बातों पर संदेह करें और गीता में देखनें की कृपा करें , हो सकता है आप को वह मिले जिसकी
तलाश मुझे बेचैन कर रक्खी है ।
====ॐ=====
Bose - Einstein super condensate theory [ 1922 ] - लगभग एक सौ वर्ष बाद अब उस कण को बनानें में कामयाब दिख रही है जिस के आधार पर वह Quantum - Particle विज्ञान में एक और क्रांति ला सकेगा ।
गीता का क्वांटम कण है - आत्मा जिससे गीता का प्रारम्भ है , जिस कण का विज्ञान कुरुक्षेत्र में प्रभु कृष्ण के द्वारा तीन वेदों के रसायनों से अर्जुन के मोह को समाप्त करनें के लिए किया गया । लगभग 5560 BCE - 800 BCE में गीता का जन्म हुआ - ऐसी मान्यता है , तब से आज तक यह परम कण भारत भूमि की चारों दिशाओं में बिकिरण के माध्यम से अपनी ऊर्जा को भर रहा है । परम कण - आत्मा को जो समझता है वह चुप हो जाता है और जो , कुछ बताना चाहते हैं उनको सुननें वाले लोग नहीं होते और यह आत्मा का
Quantum Science तब से आज तक मंदिरों की दीवारों को देखा रहा है । आइये अब हम गीता के कुछ परम ज्ञान को देखते हैं ---------
[क] मन - चेतना [ गीता - 10.22 ], बुद्धि [ गीता - 7.10 ] , समय [ गीता - 10.30 ], काम [ गीता - 7.11 ], काम देव [ गीता - 10.28 ] , पुरुष - तत्त्व [ गीता - 7.8 ], शिव [ गीता - 10.23 ], हिमालय [ गीता - 10.23 ],गंगा [ गीता - 10.31 ], समुद्र [ गीता - 10.24 ] --सबके ह्रदय में स्थित आत्मा जो सब का आदि , मध्य एवं अंत है [ गीता - 10.20 ] ... यह सब , मैं हूँ --ऐसी बात परम कहते हैं ।
[ख] माया से परे ज्योतियों की ज्योति परम ज्योति साक्षी की तरह सब के ह्रदय में आत्मा रूप में , मैं हूँ ---
गीता सूत्र - 13.17, 13.22
[ग] बुद्धि की ऊर्जा , सब के ह्रदय में स्थित आत्मा मेरा एक अंश है ---गीता सूत्र - 15.7, 15.15
[घ] ह्रदय में स्थित परमेश्वर सब को कर्मों के अनुकूल दौडाता रहता है --- गीता सूत्र - 18.61
[च] सब का जीवन अब्यक्त से अब्यक्त की यात्रा का मध्य भाग है -------- गीता सूत्र - 2.28
[छ] प्रभु सत है और सत भावातीत है ----गीता सूत्र - 2.16
[ज] प्रभु सत है , असत है , न सत है , न असत है ----गीता सूत्र - 9.19, 13.12
[झ] स्व प्रकाशित परम धाम ही प्रभु है जो अब्यक्त है --गीता सूत्र - 8.20, 8.21, 15.6
*** जो कुछ भी है सब प्रभु से प्रभु में है ---गीता सूत्र - 13.15
### प्रभु मन - बुद्धि से परे की अनुभूति है ---गीता सूत्र - 12.3 - 12.4
@@ योग सिद्धि में प्रभु का पता चलता है वह भी आत्मा के माध्यम से -- गीता सूत्र - 4.38
*** प्रभु ध्यान से ह्रदय में दीखता है --- गीता सूत्र - 13.24
ऊपर गीता के कुछ सूत्र आप को अर्पित हैं , आप से प्रार्थना है ------
आप मेरी बातों पर संदेह करें और गीता में देखनें की कृपा करें , हो सकता है आप को वह मिले जिसकी
तलाश मुझे बेचैन कर रक्खी है ।
====ॐ=====
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