सांख्यकारिका - 63
सांख्यकारिका : 63 , भाग - 1 और भाग - 2
◆ यहाँ हम देख रहे हैं , निम्न को ⬇️
1 - प्रकृति स्वयं को 08 भावों में से 07 से स्वयं को बाध लेती है लेकिन जब उसे विवेक ( 08 वां भाव - ज्ञान ) की सुगंध मिलती है तब मुक्त हो कर अपने मूल स्वरूप अर्थात साम्यावस्था में आ जाती है ।
2 - 04 प्रकार की सम्प्रज्ञात समाधि में से प्रथम तीन ( वितर्क , विचार , आनंद ) की सिद्धि से प्रकृतिलय और अस्मिता सिद्धि से विदेहलय की स्थितियां मिलती हैं।
<> अब देखें दो स्लाइड्स को ⬇️
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