सांख्यकारिका : 55 - 60

 

सांख्यकारिका : 55 - 60 तक का सार

💐 यहाँ आप निम्न के संबंध में देख सकते हैं ...

1 - पुरुष सुख - दुःख भोक्ता है 

2 - प्रकृति से उत्पन्न 23 तत्त्व ( बुद्धि + अहँकार +11 इन्द्रियाँ + 05 तन्मात्र + पञ्च महाभूत ) पुरुष के मोक्ष के माध्यम हैं 

3 - प्रकृति पुरुष की कैवल्य दिखाने के लिए सारी रचना करती है । प्रकृति का अपना कोई स्वार्थ नहीं होता । प्रकृति उपकार करके तृप्त हो जाती है और फिर पुरुष से आकर्षित नहीं होती । 

4 - कैवल्य प्राप्त पुरुष और तृप्त प्रकृति यदि आपस में मिले तब भी सृष्टि रचना नहीं होती ।




।। ॐ ।।

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