सांख्यकारिका 61 - 62
सांख्यकारिका : 61 - 62
🐧 इन दो कारिकाओं का सम्बन्ध प्रकृति और पुरुष के स्वभाव से है । प्रकृति पुरुष के लिए निःस्वार्थ भाव से पुरुष ऊर्जा के प्रभाव में कार्य करती है ।
🐦 जब प्रकृति को ऐसा आभाष होने लगता है कि पुरुष उसे देख लिया है तब वह अपनें मूल स्वरुप अर्थात तीन गुणों की साम्यावस्था की स्थिति में लौट आती है और पुनः पुरुष से आकर्षित नहीं होती ।
🦃 पुरुष न आजाद है और न पराश्रित और वह संसरण भी नहीं करता । प्रकृति 23 तत्त्वों से स्वयं को बाध कर रखती है और संसरण भी करती है ।
◆ प्रकृति के अपने 23 तत्त्व ( बुद्धि , अहँकार , 11 इन्द्रियाँ , पञ्च तन्मात्र और पञ्च महाभूत ) उसके आश्रय हैं और यह एक जन्म से दूसरे जन्म में आवागमन भी करती है जिसे संसरण कहते हैं।
।। ॐ ।।
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