सांख्य कारिका 29 - 30
सांख्य कारिका 29 - 30
💐 करण दो प्रकार के हैं - बाह्य करण और अंतः करण।
> 10 इंद्रियों को बाह्य करण और मन , बुद्धि एवं अहंकार को अंतः करण कहते हैं ।
💐 वह इन्द्रिय जो अंतःकरण से संयुक्त हो जाती है , उसे चतुष्टय इन्द्रिय कहते हैं ।
👌देह में निम्न 10 प्रकार की वायु होती है 👇
1 - हृदय में प्राण 2 - गुदा में अपान 3 - नाभि में सामान
4 - कंठ में उदान 5 - देह में व्यान 6 - वमन नाग वायु से है
7 - उन्मीलन कूर्म वायु से 8 - कृकल वायु क्षुधाकारक है
9 - जम्हाई देवदत्त वायु से है 10 - धनंजय वायु सर्वव्यापी है जो मृत्यु पर्यंत भी कुछ समय तक देह में रहता है ।
💐 अब देखते हैं कारिकाओं में 👇
।। ॐ ।।
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