गीता का मूल तत्त्व आत्मा
गीता के मूल तत्त्वों को हम यहाँ देख रहे हैं जिसके अंतर्गत पुरुष,परमात्मा एवं ब्रह्म शब्दों से हमारा परिचय हो चुका है अब हम आत्मा शब्द को गीता में देखनें जा रहे हैं/
गीता में आत्मा शब्द के लिए गीता के निम्न श्लोकों को हमें देखना चाहिए ------
2.13 | 2.17 | 2.18 | 2.19 | 2.2 | 2.21 | 2.22 | 2.23 | 2.24 | 2.25 |
2.28 | 2.29 | 2.3 | 1020 | 15.8 | 13.32 | 13.33 | 5.13 | 14.5 |
Dr. Vidyanathananad [ Shri Mohan Maharaj ] is working on , A Geometrical space which does not get affected by external forces and remains unchanged geometrically . Mohan Maharaj of Ramkrishna mission is a renounced mathematician in India and recently was awarded by the Govt. of India .
Quantum mathematics says , any informations can not be reduced to zero and based on this theory Dr. Chandra,s some of the predictions were not accepted by the science- community .
अमेरिका में वैज्ञानिकों को अंग प्रत्यार्पण – विज्ञान के क्षेत्र में एक अद्भुत बात मिली है , उनका कहना है की जब किसी का अंग किसी और में लगाया जाता है तब यह पूरी संभावना रहती है की जिस ब्यक्ति का अंग किसी और में लगाया जा रहा है उसका स्वभाव एवं आदतें भीं उसके अंग के साथ अंग लेनें वाले को मिल सकती हैं जैसे यदि किसी शराबी की किडनी किसी ऐसे में लगायी जा रही हो जो कभीं शराब न पीया हो तो ऎसी संभावना रहती है की वह ब्यक्ति जिसको किडनी दी जा रही है वह बाद में चल कर शराबी हो जाए /
कब्रों में पड़ी लाशों में ऐसा देखा गया है की उनके बाल और नाख़ूनों की लम्बाइयाँ बढ़ती रहती है/
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ऐसा क्या है ----
जो न बढ़ता है,न घटता है,न बदलता है,न रूपांतरित होता है,जो स्थिर है,जो सर्वत्र है और जो जीव तत्त्व का रहस्य है और जो वैज्ञानिक सोच के परे है/आज क्या क्वांटम विज्ञान में पार्टिकल भौतिकी की दिशा आत्मा की ओर नहीं दिख रही?अगले अंकों में हम गीता के सूत्रों को देखेंगे/
===== ओम् ======
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