गीता धुन
कामना रहित स्थिर प्रज्ञ योगी होता है --- गीता 2.55 Steadfast devotee is a man who is free from desires मन में आती जाती कामनाओं का द्रष्टा स्थिर प्रज्ञ होता है ----- गीता 2.70 He who is witness to the incoming and outgoing desires within his mid is a steadfast devotee स्पृहा , कामना , ममता एवं अहंकार रहित स्थिर प्रज्ञ होता है ------ गीता 2.71 Steadfast devotee is without attachment , without desires , without clinging and without ego कर्म – फल की सोच का न होना संन्यासी के लक्षण हैं … . गीता 6.1 Action without thinking about its result makes one Yogin ==== ओम् ======