गीता अमृत - 44
गीता सूत्र - 14.21
यह श्लोक अर्जुन का है , अर्जुन जानना चाहते हैं .......
गुनातीत योगी की पहचान क्या है ? और गुनातीत योगी कैसे कोई बन सकता है ?
गीता में श्री कृष्ण के कुल 556 श्लोक हैं जिनमें से अर्जुन अभी तक 408 श्लोकों को सुन चुके हैं और तब उनकी बुद्धि में यह प्रश्न उठ रहा है । श्री कृष्ण अर्जुन को मोह से मुक्त करानें के लिए अभी तक निम्न बातों को स्पष्ट कर चुके हैं .........
[क] स्थिर बुद्धि ब्यक्त की पहचान
[ख] कर्म एवं ज्ञान
[ग] कर्म योग एवं कर्म संन्यास
[घ] प्रकृति - पुरुष सम्बन्ध
[च] माया , आत्मा - परमात्मा रहस्य ... आदि , लेकीन इनसे अर्जुन तृप्त नहीं दीखते । अर्जुन का पहला प्रश्न , अध्याय - 2 में , स्थिर प्रज्ञा वाले योगी की पहचान से है इसके उत्तर में जो बातें बताई गयी हैं वही बातें गुनातीत योगी के सम्बन्ध यहाँ अध्याय - 14 में गीता सूत्र - 14.22 - 14.27 में बताई गयी हैं ।
गीता में अर्जुन का यह प्रश्न मात्र इस बात की ओर इशारा करता है की अभी तक सांख्य - योग की परम द्वारा कही गयी बातों का अर्जुन पर कई असर नहीं डाल पायी हैं , अर्जुन का मोह बढ़ता जा रहा है और गीता का समापन नजदीक आता जा रहा है ।
गीता में गीता श्लोक - 18.62 तक अर्जुन जैसे पहले थे ठीक उसी स्थिति में हैं , कोई परिवर्तन नहीं आया
दिखता ।
====ॐ====
यह श्लोक अर्जुन का है , अर्जुन जानना चाहते हैं .......
गुनातीत योगी की पहचान क्या है ? और गुनातीत योगी कैसे कोई बन सकता है ?
गीता में श्री कृष्ण के कुल 556 श्लोक हैं जिनमें से अर्जुन अभी तक 408 श्लोकों को सुन चुके हैं और तब उनकी बुद्धि में यह प्रश्न उठ रहा है । श्री कृष्ण अर्जुन को मोह से मुक्त करानें के लिए अभी तक निम्न बातों को स्पष्ट कर चुके हैं .........
[क] स्थिर बुद्धि ब्यक्त की पहचान
[ख] कर्म एवं ज्ञान
[ग] कर्म योग एवं कर्म संन्यास
[घ] प्रकृति - पुरुष सम्बन्ध
[च] माया , आत्मा - परमात्मा रहस्य ... आदि , लेकीन इनसे अर्जुन तृप्त नहीं दीखते । अर्जुन का पहला प्रश्न , अध्याय - 2 में , स्थिर प्रज्ञा वाले योगी की पहचान से है इसके उत्तर में जो बातें बताई गयी हैं वही बातें गुनातीत योगी के सम्बन्ध यहाँ अध्याय - 14 में गीता सूत्र - 14.22 - 14.27 में बताई गयी हैं ।
गीता में अर्जुन का यह प्रश्न मात्र इस बात की ओर इशारा करता है की अभी तक सांख्य - योग की परम द्वारा कही गयी बातों का अर्जुन पर कई असर नहीं डाल पायी हैं , अर्जुन का मोह बढ़ता जा रहा है और गीता का समापन नजदीक आता जा रहा है ।
गीता में गीता श्लोक - 18.62 तक अर्जुन जैसे पहले थे ठीक उसी स्थिति में हैं , कोई परिवर्तन नहीं आया
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