एक यात्रा
मनोरंजन यात्रा
सुननें में आ रहा है की बाबा राम देव जी साहिब अगले चुनाव में अपनी पार्टी बना कर लोक सभा की लगभग सभी सीटों पर अपनें उम्मीदवार खडा करेंगे । वर्तमान की ब्यवस्था गुरूजी को भा नहीं रही ,
देश में राम राज्य स्थापित करनें का एक यही बिकल्प शायद गुरूजी को दिख रहा होगा ।
मैं बहुत छोटा तो न था , यह संभवतः संन १९६० के आस - पास की बात होगी , उस समय मैं मिडल स्कूल में रहा हूंगा ।
काशी में उस समय एक महान योगी थे - करपात्री जी महाराज, जो संकाराचार्यों की नियुक्तियों में अहम्
भूमिका निभाते थे । हमारे पिताजी कई बार भारत आजादी के सम्बन्ध में जेल जा चुके थे
लेकीन आजादी के बाद वे पूर्ण गांधीवादी का जीवन जिए ; स्वयं अपना कपड़ा अपनें द्वारा सूत तैयार
करके बनाते थे और राजनीति से काफी दूर अपनें को रखा था लेकीन हर इलेक्सन में लोग उनके पास आते जरुर थे ।
करपात्री जी का कर ही उनका बर्तन था अर्थात भोजन पात्र उनका हाँथ थे । गुरूजी अपनें आखरी समय में
लोगों की राय में आ कर अपनी एक पार्टी बनाई - राम राज्य परिषद और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में
अपनें लोगों को इलेक्सन में खड़ा किया लेकीन उनमें से कोई जीत न पाया था ।
आज तक करपात्रीजी जैसा गीता मनीषी शायद ही कोई हुआ हो , उनको चलता फिरता गीता कहना अतिशयोक्ति न होगा ।
करपात्रीजी हमारे पिताजी से मिलनें हमारे घर आये थे , मैं उनको बहुत नजदीक से देखा था ।
उनको देख कर कहा जा सकता है-- त्रेता - द्वापर में हमारे ऋषि लोग कैसे होते रहे होंगे ।
आज तक कई दल भारत में राम राज्य स्थापित करने के इरादे से आई और गयी लेकीन भारत आज भी अपनी चाल से युग परिवर्तन की ओर चल रहा है ।
भारत में आज तक जितनें अवतार हुए हैं शायद और किसी देश में न हुए होंगे । अवतार होते हैं देश की गति की दिशा बदलनें के लिए लेकीन क्या ऐसा हुआ भी है ? श्री राम आये , परिणाम क्या हुआ ?
परम श्री कृष्ण आये लेकीन क्या सत - युग आ पाया , नहीं आ पाया , आया द्वापर से भी गया - गुजरा युग कलि- युग ।
चलिए देखते हैं , बाबा राम देवजी महाराज क्या करतेहैं ?
===== ॐ शांति ======
सुननें में आ रहा है की बाबा राम देव जी साहिब अगले चुनाव में अपनी पार्टी बना कर लोक सभा की लगभग सभी सीटों पर अपनें उम्मीदवार खडा करेंगे । वर्तमान की ब्यवस्था गुरूजी को भा नहीं रही ,
देश में राम राज्य स्थापित करनें का एक यही बिकल्प शायद गुरूजी को दिख रहा होगा ।
मैं बहुत छोटा तो न था , यह संभवतः संन १९६० के आस - पास की बात होगी , उस समय मैं मिडल स्कूल में रहा हूंगा ।
काशी में उस समय एक महान योगी थे - करपात्री जी महाराज, जो संकाराचार्यों की नियुक्तियों में अहम्
भूमिका निभाते थे । हमारे पिताजी कई बार भारत आजादी के सम्बन्ध में जेल जा चुके थे
लेकीन आजादी के बाद वे पूर्ण गांधीवादी का जीवन जिए ; स्वयं अपना कपड़ा अपनें द्वारा सूत तैयार
करके बनाते थे और राजनीति से काफी दूर अपनें को रखा था लेकीन हर इलेक्सन में लोग उनके पास आते जरुर थे ।
करपात्री जी का कर ही उनका बर्तन था अर्थात भोजन पात्र उनका हाँथ थे । गुरूजी अपनें आखरी समय में
लोगों की राय में आ कर अपनी एक पार्टी बनाई - राम राज्य परिषद और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में
अपनें लोगों को इलेक्सन में खड़ा किया लेकीन उनमें से कोई जीत न पाया था ।
आज तक करपात्रीजी जैसा गीता मनीषी शायद ही कोई हुआ हो , उनको चलता फिरता गीता कहना अतिशयोक्ति न होगा ।
करपात्रीजी हमारे पिताजी से मिलनें हमारे घर आये थे , मैं उनको बहुत नजदीक से देखा था ।
उनको देख कर कहा जा सकता है-- त्रेता - द्वापर में हमारे ऋषि लोग कैसे होते रहे होंगे ।
आज तक कई दल भारत में राम राज्य स्थापित करने के इरादे से आई और गयी लेकीन भारत आज भी अपनी चाल से युग परिवर्तन की ओर चल रहा है ।
भारत में आज तक जितनें अवतार हुए हैं शायद और किसी देश में न हुए होंगे । अवतार होते हैं देश की गति की दिशा बदलनें के लिए लेकीन क्या ऐसा हुआ भी है ? श्री राम आये , परिणाम क्या हुआ ?
परम श्री कृष्ण आये लेकीन क्या सत - युग आ पाया , नहीं आ पाया , आया द्वापर से भी गया - गुजरा युग कलि- युग ।
चलिए देखते हैं , बाबा राम देवजी महाराज क्या करतेहैं ?
===== ॐ शांति ======
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( कौन हो भारतीय स्त्री का आदर्श - द्रौपदी या सीता.. )
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