प्यार परम प्रकाश की एक किरण है
प्यार में बसना तो सभव है लेकिन समझना असंभव
कथा- 02
च्वांगत्सू लावोत्सू के शिष्य थे और जंगलमें एक कुटिया बना कर अपनी पत्नी से साथ रहते थे/
च्वांगत्सू की पत्नी एक दिन प्राण त्याग दिया और यह समाचार पूरे राज्य में आग की भांति फै गया और उस राज्य का राजा च्वांगत्सू से मिलनें जंगल पहुचे/च्वांगत्सू के झोपड़े के सामनें कुछ कोग उपस्थित थे और जब राजा के आनें की खबर उन लोगों को मिली तो वे लोग तैयारी में लग
गए/राजा रास्ते भर यह सोचता रहा कि वहाँ जा कर हमें किस तरह से अपना दुःख प्रकट करना
होगा?हमें क्यों न अब च्वांगत्सू जी को अपनें राज भवन में रहनें का निमंत्रण देना चाहिए?
राजा जब झोपड़े के सामनें पहुंचे तो लोग उनका अभिबादन किया / राजा अपनें घोड़े से उतर कर
पूछा , “ कहाँ हैं गुरूजी ? “ वहाँ एक सज्जन राजा को पास में स्थित एक झाड के पास ले गए जहाँ
च्वांगत्सू अपनी आँखों को बंद किये , एक छोटा सा वाद्य – यंत्र बजा कर कुछ गा रहे थे / राजा के आनें की खबर उनको दी गयी और वे आँखे खोले और अभिवादन किया एवं साथ में बैठनें का इशारा भी किया / राजा उनको देख कर घबडा गए और पूछे , “ गुरूजी यह बात तो मेरे समझ में आ रही है की आपको अपनी पत्नी के न होनें का कोई गम नहीं लेकिन मैं आप की इस खुशी का कारण न समझ सका / च्वांगत्सू कहते हैं , राजन आप क्या कह रहे हैं , वह मेरी पत्नी मेरे साथ कंधे से कंधा मिला कर पूरे चालीस साल सुख – दुःख में साथ रही / आज जब वह अपनें घर जा रही है तो क्या मैं उसे प्यार के गीत गा कर बिदा भी न करूँ , आज वह अपनें घर जा रही है अभीतक तो वह मेरे साथ थी ? च्वांगत्सू इतना कह कर आँखें बंद कर ली और राजा उनसे माफी मांग कर वापिस चल पड़े /
च्वांगत्सू के प्यार को आप देखें और उसका प्यार जिस गम में है उस गम में परमात्मा के अलावा और कौन हो सकता है ?
बासना का ब्यापार होता है और सर्वत्र साधन उपलभ हैं
लेकिन
प्यार की किरण किसी-किसी के ह्रदय में कभीं-कभीं फूटती है जो परमात्मा की किरण होती है
====ओम्========
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