मित्रता और प्यार

प्यार को देखो,समझना तो संभव नहीं

कथा- 01

इस कथा का सम्बन्ध फ़्रांस के एक गाँव से हैं/गाँव के दो बच्चे जो एक दूसरे के प्यारे मित्र थे यह विचार कर गाँव से शहर की ओर एक दिन चल पड़े कि चलते हैं शहर क्या पता वहाँ हमें अपनी इच्छा के मुताबिक़ आगे चलनें का मौक़ा मिल सके/कई दिनों की पैदल यात्रा के बाद वे शहर पहुंचे और एक पत्थर तोड़ने की कंपनी में उनको पत्थर तोडने का काम मिल गया/कुछ दिन काम करनें के बाद एक दिन दोनों मित्र आपस में सोच रहे थे कि भाई!ऐसे कैसे काम बनेंगा हमसब को तो चित्रकार बनाना है?एक मित्र बोला,ऐसा करते हैं,मैं तो यहाँ इस पहाड़ पर काम करता रहता हूँ और तुम शहर में जा कर चित्रकला का प्रशिक्षण लो,मैं कमा-कमा कर तुमको पैसा भेजता रहूंगा और जब तुम एक कुशल कलाकार बन जाना तब मैं भी चित्रकला सीख लूंगा/कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे;दोनों एक दूसरे के लिए पत्थर तोडना चाहते थे आखिरकार एक को शहर में जा कर चित्र कला सीखना ही पड़ा/

धीरे-धीरे समय गुजरता गया और कई सालों के बाद शहर गया मित्र एक बहुचर्चित चित्रकार बन कर वहाँ उस पहाडी पर अपनें मित्र से मिलनें आया/दोनों मित्र आपस में गले लगकर रोते रहे आखिर वहाँ जो रहता था उसने भोजन बनाया और भोजन कर के दोनों आपस में बातें करनें लगे/चित्रकार मित्र बोला,भैया!आओ मैं आप की ट्रेनिंग का प्रारम्भ आज से कर देता हूँ,छोडिये अब इस पत्थर तोडने के काम को/उस चित्रकार के लाख कोशिशों के बाद भी उसका मित्र ब्रश न पकड़ पाया/पत्थर तोड़ – तोड़ कर उसके हाँथ इतनें मजबूत और कठोर हो चुके थे कि उनसे ब्रश को पकड़ पाना कठिन हो रहा था/चित्रकार अपनें मित्र के हाथों को देखा और रोने लगा/वह चित्रकार अपनें पत्थर तोड़ने वाले मित्र केहाथों का एक चित्र बयायाजिसके नीचे लिखा-प्यारऔर वह चित्र देखनें से ऐसा दिखता है जैसे रंगों से नहींआशुओं की बूंदों से बनाया गया हो/वह चित्र आज भी फ़्रांसमें एक धरोहर के रूप में रखा गया है/

मित्रता कुछ मांगती नहीं उसके पास मांग नहीं होती जो होता है वह होता है शुद्ध प्यार जो इंद्रियों का गुलाम नहीं होता अपितु इन्द्रियाँ जिसकी गुलाम होती हैं//दो प्यारे ऐसे होते हैं जैसे दो बोतलों में एक गंगा जल भरा हो//


=====ओम्=======


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