गीता के116ध्यान – सूत्र


इस श्रृंखला मे गीता के कुछ और श्लोक …....

सूत्र –2.55

कामना रहित ब्यक्ति स्थिर – प्रज्ञ कहलाता है//

He who is without desires is said to be settled in hi s wisdom .

सूत्र –5.23

काम – क्रोध की समझ सुख की जननी है//

Awareness of sexual desire and anger is the seed of happiness .

सूत्र –2.70

मन मे आ रही एवं जा रही कामनाएं जिसके मन को अस्थिर न बना सकती हों वह

स्थिर – प्रज्ञ होता है//

He who does not affected by the dwelling desires in the mind , is said to be settled in his wisdom .

सूत्र –4.41

कर्म – फल की सोच संदेह उत्पन्न करती है और बिना फल की कामना के किया गया कर्म

बंधन नहीं बनता//

action without the expectation of fruit is not a bondage , and expectation of fruit in the action

generates delusion .

सूत्र –2.71

कामना,स्पृहा,ममता एवं अहंकार रहित स्थिर प्रज्ञ होता है//


man settled in his wisdom does not affected by desire , attachment , mineness and ego .

सूत्र –4.34

तत्त्व दर्शी ज्ञानी होता है और ज्ञान मोह की दवा है//

wisdom is the the medicine for delusion

and sage settled in his yoga is a man settled in his wisdom .



=====ओम======




























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